अधूरी मैं, अधूरी कहानी, अधूरे ख़्याल सारे तुम बिन, अधूरी ज़िन्दगी, अधूरी महफ़िल, अधूरे जवाब सारे तुम बिन। इस अधूरी सी ज़िन्दगी में मुझे तू और तेरा साथ पूरा चाहिए, इन नज़ारों में भी बस इक तू दिखे मुझे तू कुछ इस तरह चाहिए। इस सावन-ए-माह मुझे तेरी बांहों में ठंडी बयार की ख़्वाहिश है, हुक्म की गुस्ताखी नहीं, ये बस इक छोटी सी मेरी सिफ़ारिश है। चाँद रातों में तेरे हाथों में मेरा हाथ होना भी लाज़िमी है, भूलूँ दुनियवी फ़साद सभी मैं, तेरे काँधे का सुकूँ भी ज़रूरी है। मेरे गुमसुम घर को तुम अपनी चहलक़दमी से गुलज़ार कर दो, बड़ा वीरान पड़ा शहर मेरा तुम अपनी रौनकों से बाज़ार कर दो। कुछ इस तरह से मैं तेरी हो जाऊँगी,रूह में बस जाऊँगी तुम्हारी, शिउली के फूल जिस तरह से करतें हैं रातों की ग़ुलामी। ♥️ Challenge-724 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।