जन्म जन्म का साथ हो ऐसा कोई एहसास हो बाते इतनी खाश हो दिल से जुड़ी मुलाकात हो इधर उधर की बात हो शामे ढले और रात हो सादगी भरे अल्फ़ाज़ हो दिल को छुए ऐसे जज़्बात हो मासूमियत से मुलाकात हो ना कोई धर्म, ना कोई जात- पात हो बंदिशों से महरूम हो मोहब्बत मकबूल हो