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कोई हालात नहीं समझता। कोई जज्बात नहीं समझता। ये तो

कोई हालात नहीं समझता।
कोई जज्बात नहीं समझता।
ये तो अपनी अपनी समझ की बात हैं जनाब
कोई कोरा कागज समझ लेता है तो
कोई पूरी किताब नहीं समझता 
                                            कवि चंचल शर्मा
कोई हालात नहीं समझता।
कोई जज्बात नहीं समझता।
ये तो अपनी अपनी समझ की बात हैं जनाब
कोई कोरा कागज समझ लेता है तो
कोई पूरी किताब नहीं समझता 
                                            कवि चंचल शर्मा