ऐ अपमान तूने मुझे क्या सीखा दिया हँसते चेहरों को कैसे पढ़ना सीखा दिया जाना तो था मुझे अपनी मंजिल की तरफ सागर की लहरों ने देखो कैसे किनारा दिखा दिया ऐ अपमान शुक्रिया तेरा ,इस बच्चे को तूने क्या से क्या बना दिया अब गैरो पर नहीं खुद पर भरोसा कर जीना सीखा दिया मैं शायर बदनाम.. इंजी. रमाकान्त श्रीवास कोरबा( छ.ग)