बावास्ता इश्क़ में हार कर बैठे हैं हम उनको.. कुछ इबादत.. तो कुछ शिकायत तक़दीर से अपनी हम कर लेते हैं अनगिनत फलसफे अफसाने थे मोहब्बत के हमारे भी हम तो बस अब गुजरे हुऐ वक्त को याद कर तुझे याद कर लेते हैं.. नाउम्मीदी में किस तरह भुलाये हैं तुझे ये क्या बतलाए.. बाहों में इनके होते है पर एहसास उन दिनों की कर खिलखिला दिया करते हैं... #YourQuoteAndMine Collaborating with Euphonic Hymns