याद है मुझे अपना वह जन्मदिन जब वो जो मेरी जिंदगी में आई मुझ में आए आमूलचूल परिवर्तन मैं जान न पाई वह जो मेरी जिंदगी में आई मैंने मांगना सीखा रोना सीखा हसना सीखा वो जो मेरी जिंदगी मे आई तेरी इक रोने की आहट पे मैंने मांगी लाखो दुहाई तेरी इक हसीं की खिलखिलाहट सारे थकान की कर देती भरपाई वो जो मेरी जिंदगी मे आई दर्द बहुत है पर तू तो है मेरे हर दर्द की दवाई लाडो तू तो है मेरी धड़कन कभी नहीं हो सकती पराई हर्षु तू जो मेरी जिंदगी मे आई सुधा त्रिपाठी....... ©Sudha Tripathi dilkibat