ज़मीन पर कोई वजूद नही मेरा मैं परिंदों की तरह आसमान में उड़ने की फिराक में हूँ,, चाँद तारो में ढूंढ़ रही हूं शख्सियत अपनी मैं ज़िंदा लाश खाक में हूँ,, aamil Qureshi