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कवि के तन के अंदर उठता रहता है सदैव शब्दो का उफनता

कवि के तन के अंदर
उठता रहता है सदैव
शब्दो का उफनता समंदर   
ऐसे थोड़े ही न बन जाता है
कोई शब्द-रस का पयम्बर।

   ~आशुतोष यादव Kittu❤ indu singh Harlal Mahato deepti😊 ..SShikha..
कवि के तन के अंदर
उठता रहता है सदैव
शब्दो का उफनता समंदर   
ऐसे थोड़े ही न बन जाता है
कोई शब्द-रस का पयम्बर।

   ~आशुतोष यादव Kittu❤ indu singh Harlal Mahato deepti😊 ..SShikha..