तुझसे बात करने के लिए खोजता था राहें, रास्ते में मिल गई कहीं सकरी कांटे वाली रज़ाए। हुआ पूरा लहूलुहान में ,पर खून का एक कतरा ना निकला, जब मिला तुझसे मैं ,पकड़ कर एक दूजे का हाथ प्रेम राह पर निकला।। प्रेम राह😍😍😍😍 बृजेश कुमार बेबाक़