लड़ लड़ के मांगी थी, कुछ सांसे उधार, हम उनको घर ले जाना भूल गये है। मुसाफिर हैं हम वक्त के, भटक गए हैं और वापस जाना भूल गये। लिखी थी एक ग़ज़ल कई बार, बस तुमको सुनाना भूल गये। याद होगा, लिपट के रोया था तुमसे कई बार, शायद बताना था कुछ, बताना भूल गये। -------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #जिंदगी #जिंदगानी #जिंदगी… #जिंदगी_का_सफर #Anand_Ghaziabadi #Life #Life_experience