खुद में ही मैं गुम हूं खुद की ही तलाश में हूं ढूंढा हैं मैंने खुद को कईबार होशोहवास में न जाने पन्नो पर तो रूबरू हो रही पर परछाइयों में नजर आ रही न जाने कहां छुप गई हूं मैं मिलना चाहती हूं मैं इससे बस एक बार जो कहीं मुझमे जिन्दा हैं वो दब के रह गई हैं यहाँ