काश तेरी और मेरी एक ही मंज़िल न हो मैं तुझे हासिल न हूँ तू मुझे हासिल न हो हंसते हंसते अलविदा ले लें किसी एक मोड़ पर फ़र्क़ मुझ पर भी न हो तुझ में भी कोई दिल न हो ©शादाब #shadab_poetry