सूरज जो ढला आई है फिर शाम सुहानी, मौसम है मुहब्बत का नजारे भी रूमानी। बरसात के मौसम में खिले फूल नूरानी, आओगे नहीं तुम तो बने कैसे कहानी। है मस्त मगन चाँद गगन चौदवीं का ये, बिखरी है छटा छाई घटा बरसेगा पानी। बागों में खिली फूल कली डोले अली है, कचनार हँसी झूम उठी रात की रानी। अरमान मचलते हैं तुझे याद करूँ तो, आंखों से झरे मेघ जले प्रीत दिवानी। हमदम मेरे हमराज मुहब्बत की डगर पर, चलते हैं जो पड़ती है उन्हें प्रीत निभानी। ख़्वाबों में ख्यालों में निगाहों में तुम्ही हो, सांसों से बंधी डोर ये है प्रीत रूहानी। ................ #my shayri# #nojot hindi