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इतनी छलकाई है महफ़िल में गुलाबी उसने, जो भी आता है

 इतनी छलकाई है महफ़िल में गुलाबी उसने,
जो भी आता है मदहोश हुआ जाता है !

कुछ तो रफ़्तार भी कछुए की तरह है अपनी,
और कुछ वक़्त भी ख़रगोश हुआ जाता है !!
 इतनी छलकाई है महफ़िल में गुलाबी उसने,
जो भी आता है मदहोश हुआ जाता है !

कुछ तो रफ़्तार भी कछुए की तरह है अपनी,
और कुछ वक़्त भी ख़रगोश हुआ जाता है !!

इतनी छलकाई है महफ़िल में गुलाबी उसने, जो भी आता है मदहोश हुआ जाता है ! कुछ तो रफ़्तार भी कछुए की तरह है अपनी, और कुछ वक़्त भी ख़रगोश हुआ जाता है !! #Poetry