इतनी छलकाई है महफ़िल में गुलाबी उसने, जो भी आता है मदहोश हुआ जाता है ! कुछ तो रफ़्तार भी कछुए की तरह है अपनी, और कुछ वक़्त भी ख़रगोश हुआ जाता है !!