ये मेरे रब्बा तूने छोड़ा जब मुझे धरती पे तब मेरी आँखें बंद थी खुली तो तू दूर था आज फिर आना चाहता हु तेरे घर रास्ता नही मिल रहा है दर दर की ठोकरे खा रहा हु