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ऐसा लगता है मानो अचानक बड़ी हो गई हूं मैं, हर पल न

ऐसा लगता है मानो
अचानक बड़ी हो गई हूं मैं,
हर पल नया करते करते करते
जैसे खुद ही नई हो गई हूं मैं!

कुछ गुलाबी ख्वाब बुनकर
पत्तियों सी हरी हो गई हूं मैं,
पंख भले तितलियों के आकार की
shardajha6539

Sharda Jha

Bronze Star
New Creator

ऐसा लगता है मानो अचानक बड़ी हो गई हूं मैं, हर पल नया करते करते करते जैसे खुद ही नई हो गई हूं मैं! कुछ गुलाबी ख्वाब बुनकर पत्तियों सी हरी हो गई हूं मैं, पंख भले तितलियों के आकार की #poem

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