नही दिखता इस शहर में कोई अपना, सबने अपना अपना मकान बना रखा है. करुं किस भगवान को याद सबने अपना अपना सलाम दिखा रखा है. गुजरते है लोग पास से ऐसे अनजान होकर, जैसे खुद ने ही दुनिया को कंधों पे उठा रखा है. नही है वक़्त पड़ोसी के पास भी,सबने दीवारों को ऊंचा और ऊंचा लहरा रखा है. नफरत है फैली इतनी सच्चाई को कदमों में गिरा रखा है,प्यार नही करता कोई सबने बस एक दूसरे से वक़्त गुजार रखा है. नही रहे संस्कार मिल बांट के खाने के,चूल्हा भी अब चार दिवारी में छुपा रखा है. ढूंढता हूं कोई दिल का दर्द बांट ले,पास वाले ने भी इसी तलाश में मुझे पास बैठा रखा है. नींद नही आती अब रात को,ये मोबाइल की भीड़ ने महीनों से जगा रखा है. #Sabse_badi_galti Umakant Singh hemji Gopi Silent Pratanu Banerjee Aditya Singh