घर से निकाल कर घर को लौट आती हूं, हर रोज अपने सपनों को वक्त के तराजू में तौल आती हूं कुछ पा लेती हूं कुछ खो देती हूं इस दुनियां के गर्दिश में थोड़ा हंस लेती तो थोड़ा रो भी देती हूं लोगो में हर रोज कहीं गुम हो जाती हूं और रोज खुद से ही खुद को ढूंढ़ लेती हूं कभी बिखर जाती कभी समेट लेती हूं हर रोज एक सफर तय करती और हर रोज रास्ते को बटोर लेती हूं हर रोज दास्तां लिखती हर रोज उस पर गौर फ़रमाती हूं हर रोज बहुत कुछ सिखाती हर रोज बहुत कुछ छोड़ आती हूं हर रोज घर से निकाल कर घर को ही लौट आती हूं!! हर रोज का सफर.... #Home #2liner #nojotohindi #nojotoquotes #nojotoshayari #nojotopoems