मोहब्बत के दिए की लोह फडफडाने लग पडीं जरा बता यह हवाएँ किस ओर से आने लग पडीं अगर कोई बात नहीं हुई तो डर कैसा कहीं तू भी कोई बात छुपाने तो नहीं लग पडीं माशाअल्लाह तू हसीन है कई चाहतें है तुझे कहीं तू भी किसी ओर को चाहने तो नहीं लग पडीं तू भी किसी ओर को