Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो चौराहे पे क़लम बेच रही थी दो रुपए में वो शर्म बे

वो चौराहे पे क़लम बेच रही थी
दो रुपए में वो शर्म बेच रही थी

धूप में जलना नज़रों का घूरना
छुपा के ग़म वो दम बेच रही थी

आँचल से अपने धूल से बचना
दर्द का अपने मरहम बेच रही थी

ख़्वाब अपना सब जैसे भुलाए
रब्बा तुम्हारा सितम बेच रही थी

पढ़-लिख के भी अनपढ़ दुनिया
अल्हड़ सी बेटी इल्म बेच रही थी Laughing_soul  Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Shab Zaan
वो चौराहे पे क़लम बेच रही थी
दो रुपए में वो शर्म बेच रही थी

धूप में जलना नज़रों का घूरना
छुपा के ग़म वो दम बेच रही थी

आँचल से अपने धूल से बचना
दर्द का अपने मरहम बेच रही थी

ख़्वाब अपना सब जैसे भुलाए
रब्बा तुम्हारा सितम बेच रही थी

पढ़-लिख के भी अनपढ़ दुनिया
अल्हड़ सी बेटी इल्म बेच रही थी Laughing_soul  Satyaprem Mukesh Poonia Internet Jockey Shab Zaan