तुम कभी खामोशी वाली सड़क बन जाना, मै वो काली घनी रात बन जाऊंगी! तुम नीला आसमान बन जाना, मैं समंदर का किनारा बन तुझसे मिलने आऊंगी! तुम उस दिन बारिश बन जाना, मैं मोर बन के तुममें गुम हो जाऊंगी! तुम उगता सूरज बन जाना, में वो सुबह बन जाऊंगी! #pyar ka izhaar Dilwala© शरद ठाकुरी HøT_Bõy_Øm My_Words✍✍