मैंने सोचा था एक किताब लिखूंगा जिसमें दर्द बेहिसाब लिखूंगा खुशियां मिल जाए थोड़ी बहुत ऐसा एक ख़्वाब लिखूंगा कलम पकड़ कर हाथों में मन चाही हर बात लिखूंगा मैं अकेला होकर भी बस किसी का साथ लिखूंगा सुन कर वो बस आ जाए ऐसे अल्फाज़ लिखूंगा मेरे दर्द का एहसास उसे हो जाए अश्कों से जज़्बात लिखूंगा मैंने सोंचा था एक किताब लिखूंगा.... ©Shahab #किताब