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बचपन और रूठना ना पाने की खुशी, ना खोने का डर। ना म

बचपन और रूठना ना पाने की खुशी, ना खोने का डर।
ना मरने का डर, ना भबिष्य की फिकर।
हम सबके थे, और सभी थे मेरे हम सफर।
जिंदगी यूँ ही चलती रही,
दिन यूँ ही गुजरते रहे,
पता ही ना चला कि कब गए वो
दिन गुज़र।
में तो जिंदा रहा पर मेरी वो खुशियाँ गई
यूँ ही बिखर। एक कदम जिंदगी की और Sandeep Singh Sandeep Sandeep Kumar Farooque Ansari Rajiv Kumar
बचपन और रूठना ना पाने की खुशी, ना खोने का डर।
ना मरने का डर, ना भबिष्य की फिकर।
हम सबके थे, और सभी थे मेरे हम सफर।
जिंदगी यूँ ही चलती रही,
दिन यूँ ही गुजरते रहे,
पता ही ना चला कि कब गए वो
दिन गुज़र।
में तो जिंदा रहा पर मेरी वो खुशियाँ गई
यूँ ही बिखर। एक कदम जिंदगी की और Sandeep Singh Sandeep Sandeep Kumar Farooque Ansari Rajiv Kumar