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एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना... उजाला दोप

एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना...
उजाला दोपहर का लिखता है उसे बोर मत समझना...
बस ये कुछ अल्फ़ाज़ अपने मन के लिखता है
किसी दूसरे के शब्दों का उसे चोर मत समझना... कवि के भाव...
एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना...
उजाला दोपहर का लिखता है उसे बोर मत समझना...
बस ये कुछ अल्फ़ाज़ अपने मन के लिखता है
किसी दूसरे के शब्दों का उसे चोर मत समझना... कवि के भाव...

कवि के भाव... #शायरी