ख्वाब सुनने से गए,इश्क़ बताने से गए । ज़िंदगी हम तेरी तौकीर बढ़ाने से गए । घर के आंगन में लगा पेड़ कटा है जबसे । हम तेरी बात परिंदों को सुनाने से गए । by# mubashir Saeed # हम तेरी बात परिंदों को सुनने से गए #