जीवन एक चक्रव्यू जीवन चक्रव्यूह मे पड़ कर सबको अभिमन्यु सा रण लड़ना है, सब को चक्रव्यूह मे जाके समर अपना गड़ना है. हा गड़ना है समर कुछ ऐसा,की याद ये धरती रख पाए, जैसे याद रह गया अभिमन्यु सबको हम भी कुछ ऐसा कर पाए. जीवन चक्रव्यूह से कब कोई निकल पाया है क्या अर्जुन, क्या अभिमन्यु, क्या धर्मराज सबको सिर्फ भीतर जाने का मार्ग समझ मे आया है. याद रखना चक्रव्यूह मे केशव भी काम ना आएंगे, सिर्फ साथ निभाएगी अपनी विद्या सिर्फ वही प्राण बचाएंगे. आखिरकार हम सब को इस जीवन चक्र मे पिसते ही जाना है,आज मेरी तो कल तुम्हारी समय ने हम सबको खा जाना है. समय ने हम सबको खा जाना है.......... #jeevan ek chakravuyh