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प्यार क्या है word cnt: 0 References प्यार

प्यार क्या है
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प्यार  क्या है
सेक्स या शारीरिक समागम किसी भी रोमांटिक या अंतरंग रिश्ते का महत्वपूर्ण अंश है। बहुत से लोग सिर्फ उनसे ही शारीरक रिश्ता बनाने में यकीन रखते हैं जिनसे वो प्यार करते हैं। लेकिन सेक्स और प्यार अलग चीज़ें हैं। सेक्स सिर्फ आकर्षण या शारीरक संतुष्टि के लिए भी हो सकता है। लेकिन अधिकांश लोगों के लिए सेक्स का असली आनंद उस व्यक्ति के साथ ही है जिससे वो इश्क़ करते हैं।
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प्राचीन ग्रीकों ने चार तरह के प्यार को पहचाना है: रिश्तेदारी, दोस्ती, रोमानी इच्छा और दिव्य प्रेम। प्यार को अक्सर वासना के साथ तुलना की जाती है और पारस्परिक संबध के तौर पर रोमानी अधिस्वर के साथ तोला जाता है, प्यार दोस्ती यानी पक्की दोस्ती से भी तोला जाता हैं। आम तौर पर प्यार एक एहसास है जो एक इन्सान दूसरे इन्सान के प्रति महसूस करता है।
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क्या प्यार समर्पण का नाम है , क्या प्यार रिश्तो का नाम है, क्या प्यार कर्तव्य का नाम है , क्या प्यार हमेशा चुप रहने का नाम है , क्या प्यार आवारगी है , क्या प्यार पागलपन है , क्या प्यार शादी से पहले जुड़ते नायज़ाज रिश्तो का नाम है , क्या प्यार छलावा है , क्या प्यार नयी नयी शादी के बाद बन्द कमरों की दीवारों में होता उसका नाम है प्यार , क्या प्यार बुढ़ापे की लाठी पकडे बाबूजी की देखभाल करना उसका नाम है प्यार, क्या प्यार भगवान को तन मन से स्मरण करना उसका नाम है प्यार। प्यार तो एक नायब तस्वीर है , प्यार जीने का सम्मान है , स्वाभिमान है। प्यार दिल से बंधी एक डोर है। प्यार एक खूबसूरत रिश्ते का नाम है। प्यार सिर्फ ख़ुशी नहीं गम बाटने का नाम है। प्यार वो है जो आँखों के छिपे आंसूं को भी देख ले वो है प्यार। प्यार हर वक़्त महसूस करने वाला एक एहसास है। प्यार हमराज़ है हमसफ़र है।
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एक व्यक्ति किसी वस्तु, या तत्व, या लक्ष्य से प्रेम कर सकता है जिनसे वो जुडा़ है या जिनका वो सम्मान करता है। इनसान किसी वस्तु, जानवर या कार्य से भी प्यार कर सकता हैं जिसके साथ वो निजी जुड़ाव महसूस करता है और खुद को जुडे़ रखना चाहता है। अवैयक्तिक प्यार सामान्य प्यार जैसा नहीं है, ये इनसान के आत्मा का नज़रिया है जिससे दूसरों के प्रति एक शान्ति पूर्वक मानसिक रवैया उत्पन्न होता है जो दया, संयम, [ और अनुकंपा आदि भवनाओं से व्यक्त किया जाता है। अगर सामान्य वाक्य में कहा जाए तो अवैयक्तिक प्यार एक व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार को कहा जाता हैं। इसिलिए, अवैयक्तिक प्यार एक वस्तु के प्रति इनसान के सोच के ऊपर आधारित होता है।
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सबसे पहले तो अपने दिमाग से फिल्मी प्यार को निकाल दीजिए क्योंकि प्यार एकदम से किसी को देख कर नहीं होता है किसी की खूबसूरती को प्यार करना। किसी की स्टाइल को प्यार करना। किसी के अच्छे पन से प्यार करना किसी के अच्छे बिहेवियर से प्यार करना। इनमें से किसी को भी प्यार करना नहीं कहते क्योंकि प्यार का मतलब है किसी के मन से प्यार करना है।
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आकर्षण (अस्थायी प्यार) – आमतौर पर पहली नजर में हमें किसी का चेहरा पसंद आ जाता है, किसी की आँखे पसंद आ जाती है, किसी का बात करने का स्टाइल पसंद आ जाता है, या किसी का व्यवहार। इसे पहली नजर का प्यार (Love at first sight) कहते हैं। कॉलेज के दिनों में, स्कूल के दिनों में, या कम उम्र में होने वाला ज्यादातर प्यार Attraction ही होता है जिसमें Feelings तो प्यार वाली ही होती हैं लेकिन कम उम्र होने के कारण प्यार का इजहार करने में झिझकते हैं।
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प्रेम एक रसायन है क्योंकि यह यंत्र नहीं विलयन है,द्रष्टा और दृष्टि का। सौन्दर्य के दृश्य तभी द्रष्टा की दृष्टि में विलयित हो पाते हैं,और यही अवस्था प्रेम की अवस्था होती है। प्रेम और सौन्दर्य दोनो की उत्पत्ति और उद्दीपन की प्रक्रिया अन्तर से प्रारम्भ होती है। सौन्दर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, और प्रेम उस सौन्दर्य में समाया रहता है। प्रेम में आसक्ति होती है। यदि आसक्ति न हो तो प्रेम प्रेम न रहकर केवल भक्ति हो जाती है। प्रेम मोह और भक्ति के बीच की अवस्था है।
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अपनों से दूर रहते हुए भी अगर किसी का प्यार साथ हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बड़ी आसानी से सुलझ जाती हैं। प्यार इंसान को जिंदगी के मायने सिखा देता है। प्यार में वो ताकत होती है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है। इंसान चाहे कितनी भी दौलत कमा ले, चाहे कितना भी अमीर बन जाये अगर उसकी जिन्दगी में सच्चा प्यार नहीं है तो वह कभी खुश नहीं रह सकता।
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हमारे मां-बाप कितने भी बुरे हो लेकिन हमारे लिए सबसे बेस्ट होते हैं कभी भी हम उसके जगह पर किसी और को रखकर सोच भी नहीं सकते हम उनके जितना प्यार कभी किसी से कर ही नहीं सकते। क्योंकि वह हमसे प्यार करते हैं क्योंकि उन्होंने जिंदगी भर हमें सिर्फ प्यार ही दिया उसी प्यार को देखते देखते हमें भी उनसे इतना लगाव हो गया जो मैं बहुत अनमोल है।
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फरवरी के महीने को प्यार (Love) का महीना कहा जाता है क्योंकि प्रेमियों का त्यौहार Valentine Day इसी महीने में पड़ता है। Valentine Day 14 फरवरी को मनाया जाता है लेकिन इसकी तैयारियाँ फरवरी के शुरू होते ही होने लगती है। ज्यादातर प्रेमी प्रेमिकायें अपने प्यार का इजहार इसी महीने में करते हैं। कुछ लोगो का प्यार स्वीकार हो जाता है तो कुछ को निराशा हाथ लगती है। कुछ लोगो को अपनी प्यार की मंजिल मिल जाती है तो कुछ लोगो के दिल भी टूटते हैं।
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प्यार या प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!,प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। ये किसी की दया, भावना और स्नेह प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। जिसके उदाहरण के लिए माता और पिता होते है खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इन्सान के प्रति स्नेहपूर्वक कार्य करने या जताने को प्यार कहा जाता हैं। सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातो में आप के साथ हो दुख में साथ दे आप का और आप की खुशियों को अपनी खुशियां माने कहते हैं कि अगर प्यार होता है तो हमारी ज़िन्दगी बदल जाती है पर जिन्दगी बदलती है या नही, यह इंसान के उपर निर्भर करता है प्यार इंसान को जरूर बदल देता है प्यार का मतलब सिर्फ यह नहीं कि हम हमेशा उसके साथ रहे, प्यार तो एक-दूसरे से दूर रहने पर भी खत्म नहीं होना चाहिए। जिसमे दूर कितने भी हो अहसास हमेशा पास का होना चाहिए। किसी से सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम लोग हैं। लेकिन उदाहरण हैं लैला और मजनू। इनके प्यार की कोई सीमा नहीं है। यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे प्यार को लोग जनम जनमो तक याद रखेंगे।
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जब कोई इंसान किसी को hypnotize करता है तब वह उनके मन को काबू में करता है इसी प्रकार आप किसी को अगर मन से प्यार करेंगे तो आप उनके मन को भी अपने प्यार के लिए hypnotize कर लेगे तत्पश्चात आप दोनों का मन एक हो जाएगा और इसी को आत्माओं का मिलन कहते है और इसी मिलन को सच्चा प्यार कहते हैं, जिस प्रकार एक मां अपने बेटे की मन की बातें समझ लेती है इसी प्रकार आप भी अपने प्यार के मन की बात समझ पाएंगे।
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प्राचीन ग्रीकों ने चार तरह के प्यार को पहचाना है: रिश्तेदारी, दोस्ती, रोमानी इच्छा और दिव्य प्रेम। प्यार को अक्सर वासना के साथ तुलना की जाती है और पारस्परिक संबध के तौर पर रोमानी अधिस्वर के साथ तोला जाता है, प्यार दोस्ती यानी पक्की दोस्ती से भी तोला जाता हैं। आम तौर पर प्यार एक एहसास है जो एक इन्सान दूसरे इन्सान के प्रति महसूस करता है।
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सेक्स या शारीरिक समागम किसी भी रोमांटिक या अंतरंग रिश्ते का महत्वपूर्ण अंश है। बहुत से लोग सिर्फ उनसे ही शारीरक रिश्ता बनाने में यकीन रखते हैं जिनसे वो प्यार करते हैं। लेकिन सेक्स और प्यार अलग चीज़ें हैं। सेक्स सिर्फ आकर्षण या शारीरक संतुष्टि के लिए भी हो सकता है। लेकिन अधिकांश लोगों के लिए सेक्स का असली आनंद उस व्यक्ति के साथ ही है जिससे वो इश्क़ करते हैं।
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प्राचीन ग्रीकों ने चार तरह के प्यार को पहचाना है: रिश्तेदारी, दोस्ती, रोमानी इच्छा और दिव्य प्रेम। प्यार को अक्सर वासना के साथ तुलना की जाती है और पारस्परिक संबध के तौर पर रोमानी अधिस्वर के साथ तोला जाता है, प्यार दोस्ती यानी पक्की दोस्ती से भी तोला जाता हैं। आम तौर पर प्यार एक एहसास है जो एक इन्सान दूसरे इन्सान के प्रति महसूस करता है।
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क्या प्यार समर्पण का नाम है , क्या प्यार रिश्तो का नाम है, क्या प्यार कर्तव्य का नाम है , क्या प्यार हमेशा चुप रहने का नाम है , क्या प्यार आवारगी है , क्या प्यार पागलपन है , क्या प्यार शादी से पहले जुड़ते नायज़ाज रिश्तो का नाम है , क्या प्यार छलावा है , क्या प्यार नयी नयी शादी के बाद बन्द कमरों की दीवारों में होता उसका नाम है प्यार , क्या प्यार बुढ़ापे की लाठी पकडे बाबूजी की देखभाल करना उसका नाम है प्यार, क्या प्यार भगवान को तन मन से स्मरण करना उसका नाम है प्यार। प्यार तो एक नायब तस्वीर है , प्यार जीने का सम्मान है , स्वाभिमान है। प्यार दिल से बंधी एक डोर है। प्यार एक खूबसूरत रिश्ते का नाम है। प्यार सिर्फ ख़ुशी नहीं गम बाटने का नाम है। प्यार वो है जो आँखों के छिपे आंसूं को भी देख ले वो है प्यार। प्यार हर वक़्त महसूस करने वाला एक एहसास है। प्यार हमराज़ है हमसफ़र है।
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एक व्यक्ति किसी वस्तु, या तत्व, या लक्ष्य से प्रेम कर सकता है जिनसे वो जुडा़ है या जिनका वो सम्मान करता है। इनसान किसी वस्तु, जानवर या कार्य से भी प्यार कर सकता हैं जिसके साथ वो निजी जुड़ाव महसूस करता है और खुद को जुडे़ रखना चाहता है। अवैयक्तिक प्यार सामान्य प्यार जैसा नहीं है, ये इनसान के आत्मा का नज़रिया है जिससे दूसरों के प्रति एक शान्ति पूर्वक मानसिक रवैया उत्पन्न होता है जो दया, संयम, [ और अनुकंपा आदि भवनाओं से व्यक्त किया जाता है। अगर सामान्य वाक्य में कहा जाए तो अवैयक्तिक प्यार एक व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार को कहा जाता हैं। इसिलिए, अवैयक्तिक प्यार एक वस्तु के प्रति इनसान के सोच के ऊपर आधारित होता है।
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सबसे पहले तो अपने दिमाग से फिल्मी प्यार को निकाल दीजिए क्योंकि प्यार एकदम से किसी को देख कर नहीं होता है किसी की खूबसूरती को प्यार करना। किसी की स्टाइल को प्यार करना। किसी के अच्छे पन से प्यार करना किसी के अच्छे बिहेवियर से प्यार करना। इनमें से किसी को भी प्यार करना नहीं कहते क्योंकि प्यार का मतलब है किसी के मन से प्यार करना है।
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आकर्षण (अस्थायी प्यार) – आमतौर पर पहली नजर में हमें किसी का चेहरा पसंद आ जाता है, किसी की आँखे पसंद आ जाती है, किसी का बात करने का स्टाइल पसंद आ जाता है, या किसी का व्यवहार। इसे पहली नजर का प्यार (Love at first sight) कहते हैं। कॉलेज के दिनों में, स्कूल के दिनों में, या कम उम्र में होने वाला ज्यादातर प्यार Attraction ही होता है जिसमें Feelings तो प्यार वाली ही होती हैं लेकिन कम उम्र होने के कारण प्यार का इजहार करने में झिझकते हैं।
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प्रेम एक रसायन है क्योंकि यह यंत्र नहीं विलयन है,द्रष्टा और दृष्टि का। सौन्दर्य के दृश्य तभी द्रष्टा की दृष्टि में विलयित हो पाते हैं,और यही अवस्था प्रेम की अवस्था होती है। प्रेम और सौन्दर्य दोनो की उत्पत्ति और उद्दीपन की प्रक्रिया अन्तर से प्रारम्भ होती है। सौन्दर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, और प्रेम उस सौन्दर्य में समाया रहता है। प्रेम में आसक्ति होती है। यदि आसक्ति न हो तो प्रेम प्रेम न रहकर केवल भक्ति हो जाती है। प्रेम मोह और भक्ति के बीच की अवस्था है।
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फरवरी के महीने को प्यार (Love) का महीना कहा जाता है क्योंकि प्रेमियों का त्यौहार Valentine Day इसी महीने में पड़ता है। Valentine Day 14 फरवरी को मनाया जाता है लेकिन इसकी तैयारियाँ फरवरी के शुरू होते ही होने लगती है। ज्यादातर प्रेमी प्रेमिकायें अपने प्यार का इजहार इसी महीने में करते हैं। कुछ लोगो का प्यार स्वीकार हो जाता है तो कुछ को निराशा हाथ लगती है। कुछ लोगो को अपनी प्यार की मंजिल मिल जाती है तो कुछ लोगो के दिल भी टूटते हैं।
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प्यार या प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!,प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। ये किसी की दया, भावना और स्नेह प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। जिसके उदाहरण के लिए माता और पिता होते है खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इन्सान के प्रति स्नेहपूर्वक कार्य करने या जताने को प्यार कहा जाता हैं। सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातो में आप के साथ हो दुख में साथ दे आप का और आप की खुशियों को अपनी खुशियां माने कहते हैं कि अगर प्यार होता है तो हमारी ज़िन्दगी बदल जाती है पर जिन्दगी बदलती है या नही, यह इंसान के उपर निर्भर करता है प्यार इंसान को जरूर बदल देता है प्यार का मतलब सिर्फ यह नहीं कि हम हमेशा उसके साथ रहे, प्यार तो एक-दूसरे से दूर रहने पर भी खत्म नहीं होना चाहिए। जिसमे दूर कितने भी हो अहसास हमेशा पास का होना चाहिए। किसी से सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम लोग हैं। लेकिन उदाहरण हैं लैला और मजनू। इनके प्यार की कोई सीमा नहीं है। यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे प्यार को लोग जनम जनमो तक याद रखेंगे।
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