बड़ा मुश्किल हैं यारों उस शक़्स को गिराना.... जिसको चलना ख़ुद ही गिर-गिर के आया।।। कभी अपनों ने गिराया तो कभी गैरों ने ...... किस-किस पे इल्ज़ाम लगाऊँ ....... जिसका जितना जी चाहा उतना सबने तड़पाया. किसी ने रंगों का एहसास दिलाया... तो किसी ने बूरे वक़्त का ... किसे गले लगाऊँ जब सबने, समय समय पर अपना रंग दिखाया... बड़ा मुश्किल हैं यारों उसे गिरना.. जिसने वक़्त को साथ हैं अपने लाया।।। बड़ा मुश्किल हैं यारों उस शक़्स को गिराना... जिसको चलना ख़ुद ठोकरों ने सिखाया।।। #वक़्त का साथ,लोंगो को एहसास