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अफ़सुर्दा बैठे है इस बंज़र मैं हर राहगीर ने हमें टो

अफ़सुर्दा बैठे है इस बंज़र मैं 
हर राहगीर ने हमें टोका है 
जहाँ जहाँ  हमने पग बढ़ाये 
हमको अपनों ने ही रोका है 
अब तुम्हे-तुम्हे क्या बताऊ मेरा हाल सुनने वालो 
वो हमारी है यही हमारी आँखों का दोखा है
अफ़सुर्दा बैठे है इस बंज़र मैं 
हर राहगीर ने हमें टोका है 
जहाँ जहाँ  हमने पग बढ़ाये 
हमको अपनों ने ही रोका है 
अब तुम्हे-तुम्हे क्या बताऊ मेरा हाल सुनने वालो 
वो हमारी है यही हमारी आँखों का दोखा है
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