फ़ौजी और ख़त ~~~{{{ मुक्तक }}}~~~ मेरे दिल को सकूँ उस दिन मिल जाएगा, जब सरहदों से खत मेरे नाम का आएगा ! है यकीं मुझको मेरे नवजवानों पर आज , मेरे मरने पर भी ये तिरंगा यूँ ही लहरायेगा !१! नाम तेरा लबो से मैं गुनगुनाता रहूंगा , जान अपनी वतन पर मैं लुटाता रहूंगा ! है क़सम माँ मुझे आज तेरे आँचल की मरते दम तक फ़र्ज़ मैं निभाता रहूंगा !२! खून के कतरे-कतरे से अमन लिख दिया, सूखे आँसू से बहार-ए-चमन लिख दिया ! जब सांसे रुकने लगी नब्ज थम सी गयी , आखरी शब्दो मे वतन को नमन लिख दिया !३! सहज नही फ़ौजी जीवन इन्हें खपना पड़ता है , सर्द भरी इन रातो में बर्फों से तपना पड़ता है ! कोई आंच न आने पाये वतन को इस फ़िक्र में , जाँ हथेली पर लेकर काँटो पर चलना पड़ता है !४! क़लमकार कवि राहुल पाल #Soldier मेरे दिल को सकूँ उस दिन मिल जाएगा, जब सरहदों से खत मेरे नाम का आएगा । है यकीं मुझको मेरे नवजवानों पर आज , मेरे मरने पर भी ये तिरंगा यूँ ही लहरायेगा !१! नाम तेरा लबो से मैं गुनगुनाता रहूंगा , जान अपनी वतन पर मैं लुटाता रहूंगा ! है क़सम माँ मुझे आज तेरे आँचल की ,