औरत हूँ, इंसान हूँ, सपनों का तीर और खुद ही कमान हूँ, कभी समंदर तो कभी तूफ़ान हूँ, अपने आप में सन्नाटा और कभी मैं तान हूँ, औरत हूँ, इंसान हूँ, हाँ गिरती हूँ मैं, उठना भी जानती हूँ, रोती हूँ और मुस्कुराना भी जानती हूँ, खो जाती हूँ कभी कभी पर खुद को पाना भी जानती हूँ, रह लेती हूँ चुप मगर लड़ जाना भी जानती हूँ, तुम जो मानते हो की नारी ज़ोर से हँसे बोले तो गुनाह है, वह उठाए आवाज़ अपनी बन्दिशों के ख़िलाफ़ तो गुनाह है, तुम जो चीर देते हो उसका जीवन एक पल में, और करते हो इसे शुमार अपने बल में, माना तुम औरत नहीं, हाँ मगर इंसान तो हो! ~तराना #NojotoBhopal #nojotobhopal #women #womensday #courage