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जमाना सारा अब बेपरवाह सा लग रहा है कुछ अपना

जमाना  सारा अब  बेपरवाह  सा  लग रहा है 
कुछ  अपना तो कुछ  पराया  सा  लग रहा है 

कैसे  छिपाए, इश्क़ की ड़ोर हमसे भी छूटी है 
बिना  जताए  सब  सुना-सुना सा  लग रहा है

बहती  फिजाओं  ने  ख़ुशी के  रंग घोले तो थे 
बदकिस्मती से अब सब  बेरंग सा लग रहा है 

मंजिल  मोहब्बत  की  ज्यादा  कठिन  ना थी
लोगों का सुनकर, साथ छूटता सा लग रहा है

महंगी  ख्वाहिशों का असर जो कम होने लगा
सस्ती यादों के भाव वो बिकता सा लग रहा है

नसीब उसका , पर  असर  मुझ पर  गहरा था
वक़्त बदलते, हर सपना टूटता सा लग रहा है

बहके  नहीं   किसी  और   की  बातों  से  हम
मोहब्बत में हर फैसला यूँ सजा सा लग रहा है 

बदलता,  तो  वो कभी  इश्क़  नाम  नहीं होता
इश्क़ होते हुए भी वो कोई गुनाह सा लग रहा है  

जमाना  सारा अब  बेपरवाह  सा  लग रहा है 
कुछ  अपना तो कुछ  पराया  सा  लग रहा है 

~Akshita Jangid
जमाना  सारा अब  बेपरवाह  सा  लग रहा है 
कुछ  अपना तो कुछ  पराया  सा  लग रहा है 

कैसे  छिपाए, इश्क़ की ड़ोर हमसे भी छूटी है 
बिना  जताए  सब  सुना-सुना सा  लग रहा है

बहती  फिजाओं  ने  ख़ुशी के  रंग घोले तो थे 
बदकिस्मती से अब सब  बेरंग सा लग रहा है 

मंजिल  मोहब्बत  की  ज्यादा  कठिन  ना थी
लोगों का सुनकर, साथ छूटता सा लग रहा है

महंगी  ख्वाहिशों का असर जो कम होने लगा
सस्ती यादों के भाव वो बिकता सा लग रहा है

नसीब उसका , पर  असर  मुझ पर  गहरा था
वक़्त बदलते, हर सपना टूटता सा लग रहा है

बहके  नहीं   किसी  और   की  बातों  से  हम
मोहब्बत में हर फैसला यूँ सजा सा लग रहा है 

बदलता,  तो  वो कभी  इश्क़  नाम  नहीं होता
इश्क़ होते हुए भी वो कोई गुनाह सा लग रहा है  

जमाना  सारा अब  बेपरवाह  सा  लग रहा है 
कुछ  अपना तो कुछ  पराया  सा  लग रहा है 

~Akshita Jangid
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