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ना ज़ाहिर हुई तुमसे ना बयाँ हुई हमसे, बस सुलझी हुई

ना ज़ाहिर हुई तुमसे ना बयाँ हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखों में उलझी रही मुहब्बत..
ना ज़ाहिर हुई तुमसे ना बयाँ हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखों में उलझी रही मुहब्बत..