ढ़लती हुई आखों से पुरे मंजर को देखा है टुकडो में बटी सासों से, लहु से रंगे खंज़र को देखा हैं कहीं सिसकिया कहीं चीखें, कहीं खून से लथपथ लाशे थीं पल पल बुझती इन आखों में, अपनो की तलाशें थी जलते घर जलते मकान, जलते अपनो को देखा हैं धुँए के गुबार में उडते हर एक सपनो को देखा हैं Say to Peace #sayings #thoughts #words #poetry