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एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर भिखारी प्रतिदिन कम

एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर भिखारी प्रतिदिन कम से कम एक हजार रुपए कमा लेते हैं। शनिवार, रविवार अथवा त्योहार के मौकों पर यह कमाई दोगुनी-तीनगुनी तक हो जाती है। इनकी भीख में सफेदपोशों, पुलिस वालों का भी हिस्सा होता है। इनका कोई ईमान-धर्म नहीं होता है। मुस्लिम बहुल ठिकानों पर मुस्लिम हुलिया में, हिंदू बहुल स्थलों पर साधु-संन्यासियों वाली वेशभूषा धारण कर लेते हैं। उसी के अनुरूप बोलचाल, भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं। 

कई भिखारी उन घरों पर निशाना साधे रहते हैं, जिनके पुरुष ड्यूटी पर चले जाते हैं। ऐसे घरों की महिलाओं पर वे इमोशनल अत्याचार करते हैं। भिखारियों के गिरोहों में सक्रिय तमाम बच्चे अपहृत किए हुए होते हैं। एक पुलिस रिकार्ड के मुताबिक हर साल लगभग चालीस-पैंतालीस हजार बच्चे गायब हो रहे हैं। लगभग 10 लाख बच्चों के बिछुड़ने की सूचनाएं मिलती रहती हैं। बताया जाता है कि उनमें से तमाम बच्चे भिखारी गैंगमैनों के चंगुल में खींच लिए जाते हैं।
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#भिखारी_मुक्त_भारत
एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर भिखारी प्रतिदिन कम से कम एक हजार रुपए कमा लेते हैं। शनिवार, रविवार अथवा त्योहार के मौकों पर यह कमाई दोगुनी-तीनगुनी तक हो जाती है। इनकी भीख में सफेदपोशों, पुलिस वालों का भी हिस्सा होता है। इनका कोई ईमान-धर्म नहीं होता है। मुस्लिम बहुल ठिकानों पर मुस्लिम हुलिया में, हिंदू बहुल स्थलों पर साधु-संन्यासियों वाली वेशभूषा धारण कर लेते हैं। उसी के अनुरूप बोलचाल, भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं। 

कई भिखारी उन घरों पर निशाना साधे रहते हैं, जिनके पुरुष ड्यूटी पर चले जाते हैं। ऐसे घरों की महिलाओं पर वे इमोशनल अत्याचार करते हैं। भिखारियों के गिरोहों में सक्रिय तमाम बच्चे अपहृत किए हुए होते हैं। एक पुलिस रिकार्ड के मुताबिक हर साल लगभग चालीस-पैंतालीस हजार बच्चे गायब हो रहे हैं। लगभग 10 लाख बच्चों के बिछुड़ने की सूचनाएं मिलती रहती हैं। बताया जाता है कि उनमें से तमाम बच्चे भिखारी गैंगमैनों के चंगुल में खींच लिए जाते हैं।
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