प्रकृति का हर जर्रा तुम्हे नया अहसास देगा... अमृत्व कि सी तृप्ति अनबुझी सी प्यास देगा... हार -थक बुझने लगे ज़ब कभी हिम्मते दिया... डूब उगने का ये सूरज फिर तुम्हे उल्लास देगा... --सुनील आज़ाद