इस दिल को तेरे बिना धड़कना तक नामंजूर है जोर चलता नहीं इंसान का एहसासों में इसमें उसका क्या कसूर है जमाना पूजता है सबरी और राम को राधा और श्याम को फिर भला क्यों जमाने को हमारा इश्क़ चुभता जैसे नासूर है प्रेम से रहने का पैगाम बांटते फिरते है पर इश्क में जाती मजहब को लाना जरूर है टूट जाती है अपनों की सांसे तलक वाह re जमाना किसी को जीते जी मारने का गजब सा दस्तूर है मिट्टी में मिला दोगे जिसमो को तुम पर ये इश्क़ है जनाब मरने के बाद भी मिला दे दो चाहने वालों को सर चढ़कर कहता इसका फितूर है। #love#faith#never dies