आखिर जीत किसकी हुई ?
आज की दूनिया में -
खो रहे है एक से बढकर एक नए चेहरे
दूल्हो के सिरो पर बंधे नए सेहरे
कहीं गीत खुशियों के गाते है
तो कहीं गम भरी जगी राते है।
कौन,किससे परखे किसकी ताकत?
घमंड हुआ जिन्दा मिट्टी को
जिंदा मिट्टी ही आखिर मिट्टी हुई।
इस गुमराहँ दूनिया मे
आखिर जीत किसकी हुई?
आज की दूनिया में -
जानलेवा चीज़ों को बना लिया दिवाना
देख प्रलय प्रकृति का डर गया जमाना
कहीं मुसीबते जिन्दगी का शिकार कर रही है
तो कहीं दूनिया जिन्दगी का व्यापार कर रही है।
जिन्दगी का किसने,कितना किया मौल-भाव ?
बेजुबान जिन्दगी नीलाम होने को मज़बूर
मासूम जिन्दगियां ही आखिर नीलाम हुईं।
इस गुमराहँ दुनिया में
आखिर जीत किसकी हुई?
✍✍गोविंद पटीर...
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