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चिलचिलाती धूप मे नंगे पावँ उसे गुब्बारे बेचते मैं

चिलचिलाती धूप मे नंगे पावँ 
उसे गुब्बारे बेचते मैंने देखा है
 हाँ मैंने उस मासूम को जिम्मेदारियां कंधे
  पर उठाते हुए देखा है
  हाँ मैंने उसे देखा है
दो घूँट प्यास के लिए सूखे पड़े नल पर 
उम्मीदों का हत्था थामे उसे देखा है 

जेठ की तपती दुपहरी में नंगे बदन 
उसे तपते देखा है 
हाँ मैंने उस मासूम को अपनी कमीज की छावं बनाते देखा है
 हाँ मैंने उसे देखा है
 बिलबिलाती हुई भूख को मिटानेके लिए
 उसे कूड़े के ढ़ेर से कुछ बिनते हुए  देखा है
  हाँ मैंने उसे देखा है 
अंधेरी रात के गर्म थपेड़ों में 
उस मासूम को डामर की जलती सड़कों पर सुकून 
की नींद सोते हुए मैंने देखा है 
 हाँ मैंने उसे देखा है और सिर्फ चुपचाप उसे देखा है #nojoto #nojotohindi #poetry #books #kavishala
चिलचिलाती धूप मे नंगे पावँ 
उसे गुब्बारे बेचते मैंने देखा है
 हाँ मैंने उस मासूम को जिम्मेदारियां कंधे
  पर उठाते हुए देखा है
  हाँ मैंने उसे देखा है
दो घूँट प्यास के लिए सूखे पड़े नल पर 
उम्मीदों का हत्था थामे उसे देखा है 

जेठ की तपती दुपहरी में नंगे बदन 
उसे तपते देखा है 
हाँ मैंने उस मासूम को अपनी कमीज की छावं बनाते देखा है
 हाँ मैंने उसे देखा है
 बिलबिलाती हुई भूख को मिटानेके लिए
 उसे कूड़े के ढ़ेर से कुछ बिनते हुए  देखा है
  हाँ मैंने उसे देखा है 
अंधेरी रात के गर्म थपेड़ों में 
उस मासूम को डामर की जलती सड़कों पर सुकून 
की नींद सोते हुए मैंने देखा है 
 हाँ मैंने उसे देखा है और सिर्फ चुपचाप उसे देखा है #nojoto #nojotohindi #poetry #books #kavishala