रेत की तरह , मुठियों से तुम कब का गिर गए होते,। बिछड़ के,अपने यार से तुम कब का बिखर गए होते। मुझसे,मेरे, तड़प की ,तलब ना पूछो,। बस इतना जान लो कि जितना हम सह गए। उतने में तुम सौ बार मर गए होते। #mere yar