अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो।
एकदूजे के एहसासों को तो सरेआम होने दो।
बताएं तुम्हें अपने #ज़िस्म के हर ज़र्रे की ख्वाहिश,
इस रात को थोड़ा सा मेरी बाहों में उतरने दो।
कितने बरसों बाद ये सुहानी #शाम आयी है करीब,
अपनी बाजुओं में जरा मुझे कसकर पकड़ने दो। #कायनात#Uशुभ