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गज़ल मेरे अशआर सुनाना, ना सुनाने देना । जब मैं दुन

गज़ल
मेरे अशआर सुनाना, ना सुनाने देना ।
जब मैं दुनिया से चला जाऊं, तो जाने देना।
साथ इनके है,बहुत ख़ाक उड़ाई मैंने ।
इन हवाओं को मेरी खाक उड़ाने देना ।
रहूं ख़ामोश तो, ख़ामोश ही रखना मुझको ।
और अगर शोर मचाऊं,तो मचाने देना ।
अब तो बारिश मैं भी स्कूल खुला करते हैं ।
वहां ना भेजना, बच्चों को नहाने देना । # अमीर इमाम poetry#
गज़ल
मेरे अशआर सुनाना, ना सुनाने देना ।
जब मैं दुनिया से चला जाऊं, तो जाने देना।
साथ इनके है,बहुत ख़ाक उड़ाई मैंने ।
इन हवाओं को मेरी खाक उड़ाने देना ।
रहूं ख़ामोश तो, ख़ामोश ही रखना मुझको ।
और अगर शोर मचाऊं,तो मचाने देना ।
अब तो बारिश मैं भी स्कूल खुला करते हैं ।
वहां ना भेजना, बच्चों को नहाने देना । # अमीर इमाम poetry#
azeemkhan5403

Azeem Khan

Gold Star
New Creator

# अमीर इमाम poetry#