गज़ल मेरे अशआर सुनाना, ना सुनाने देना । जब मैं दुनिया से चला जाऊं, तो जाने देना। साथ इनके है,बहुत ख़ाक उड़ाई मैंने । इन हवाओं को मेरी खाक उड़ाने देना । रहूं ख़ामोश तो, ख़ामोश ही रखना मुझको । और अगर शोर मचाऊं,तो मचाने देना । अब तो बारिश मैं भी स्कूल खुला करते हैं । वहां ना भेजना, बच्चों को नहाने देना । # अमीर इमाम poetry#