देखीं नहीं जाती उनकी मायुसी, उदासी,खामोशी.. कुर्बान कर देते जमाने भर की खुशियाँ.. काश! हम खुशियों के स्वामी होते.. तरसते हैं हम भी उनकी एक मुस्कान के लिए.. वो है की मुस्कान पर ताला लगा है बैठे.. अब कैसे समझायें उन्हें... कितनी अनमोल उनकी मुस्कान.. अमुल्य जीवन हैं... देख उनका यें दर्द...दर्द हमें भी तो होता है.. मिल जाएँ उन्हे...उनकी हर खुशियाँ... रब से माँगी हमने यही दुवा है...!!