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कभी थक हार कर, हम इस जहां के बदलने का इंतज़ार कि

कभी थक हार कर, 
हम इस जहां के बदलने का 
इंतज़ार किया करते हैं। 

कभी बिखर कर 
हम खुद-ब-खुद जुड़ने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

ईन कागज की कश्ती का
बारिश में तैरने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

तबियत ठीक नहीं है 
जख्म है जो हमारे 
तेरे पुछने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

अंधेरी परछाई को देखना हैं 
जो तुम सी नजर आती हैं 
हम आफ्ताव का
इंतज़ार किया करते हैं।
कभी थक हार कर, 
हम इस जहां के बदलने का 
इंतज़ार किया करते हैं। 

कभी बिखर कर 
हम खुद-ब-खुद जुड़ने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

ईन कागज की कश्ती का
बारिश में तैरने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

तबियत ठीक नहीं है 
जख्म है जो हमारे 
तेरे पुछने का 
इंतज़ार किया करते हैं।

अंधेरी परछाई को देखना हैं 
जो तुम सी नजर आती हैं 
हम आफ्ताव का
इंतज़ार किया करते हैं।
amanmehra7671

Aman mehra

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