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शहर भले ही अभिन्न हो मागर दूरियाँ भी इस कदर थी क

शहर भले ही अभिन्न हो
 मागर दूरियाँ भी इस कदर थी 
की हम बस एक झलक को तरस गए
और जब कभी अनजाने मैं तकरार हुइ 
तो  वो हमारे लिए अनजान ही बन  गए||


Sehar bhale hi abhinn ho,
Magar dooriyan bhi iss qadar thi
Ki hum bas ek jhalak ko tarash gayein.
Aur jab kabhi anjane mein hamari takraar hui,
Toh woh hamare liye anjaan hi ban gaye... शहर भले ही अभिन्न हो
 मागर दूरियाँ भी इस कदर थी 
की हम बस एक झलक को तरस गए
और जब कभी अनजाने मैं तकरार हुइ 
तो वो हमारे लिए अनजान ही बन  गए||
© Kalpana Agarwal

#quote
शहर भले ही अभिन्न हो
 मागर दूरियाँ भी इस कदर थी 
की हम बस एक झलक को तरस गए
और जब कभी अनजाने मैं तकरार हुइ 
तो  वो हमारे लिए अनजान ही बन  गए||


Sehar bhale hi abhinn ho,
Magar dooriyan bhi iss qadar thi
Ki hum bas ek jhalak ko tarash gayein.
Aur jab kabhi anjane mein hamari takraar hui,
Toh woh hamare liye anjaan hi ban gaye... शहर भले ही अभिन्न हो
 मागर दूरियाँ भी इस कदर थी 
की हम बस एक झलक को तरस गए
और जब कभी अनजाने मैं तकरार हुइ 
तो वो हमारे लिए अनजान ही बन  गए||
© Kalpana Agarwal

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शहर भले ही अभिन्न हो मागर दूरियाँ भी इस कदर थी की हम बस एक झलक को तरस गए और जब कभी अनजाने मैं तकरार हुइ तो वो हमारे लिए अनजान ही बन  गए|| © Kalpana Agarwal #Quote #nojotohindi #sehar #kalpanaagarwal