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मत पूछो कितने हजार बार रोयें। तुम्हें देखकर हम बा

मत पूछो कितने हजार बार रोयें। 
तुम्हें देखकर हम बार-बार रोयें। 

मेरी माँ तेरे पैरों में ये छाले नहीं रे,
मेरे दिल के घाव के तार-तार रोयें।

महल वालों देख लो ये रोटी और चावल, 
तेरे दर तक देने वाला प्यार-व्यार रोये।

आज भी कुछ ठेकों पे हंसती है शराब,
यहाँ भूख और बेबसी गला फाड़ रोयें।

हम मुफलिसी के रौनक तेरे शहर से लौटें,
तेरा खली घर और खाली द्वार-वार रोये।

       ✍️संदीप कुमार तिवारी #Poor
मत पूछो कितने हजार बार रोयें। 
तुम्हें देखकर हम बार-बार रोयें। 

मेरी माँ तेरे पैरों में ये छाले नहीं रे,
मेरे दिल के घाव के तार-तार रोयें।

महल वालों देख लो ये रोटी और चावल, 
तेरे दर तक देने वाला प्यार-व्यार रोये।

आज भी कुछ ठेकों पे हंसती है शराब,
यहाँ भूख और बेबसी गला फाड़ रोयें।

हम मुफलिसी के रौनक तेरे शहर से लौटें,
तेरा खली घर और खाली द्वार-वार रोये।

       ✍️संदीप कुमार तिवारी #Poor