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कभी जो बरसते हैं बादल तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा

कभी जो बरसते हैं बादल तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा लिया करते हैं।
दिल में तन्हाई पलती है पर फिर भी लबों पर मुस्कान सजा लिया करते हैं।

जिंदगी में जिम्मेदारियांँ व फर्ज निभाने में कई ख्वाहिशें अधूरी ही रह गई हैं,
हृदय की बंजर जमीन पर कल्पनाओं के फूल खिला खुश हो लिया करते हैं।

प्रियतम तुम बिन जीवन मेरा पतझड़ के जैसा उजड़ा-उजड़ा सा लगता है,
विरह के गीतों की तुरपाई से ही विरह के घावों को हम भर लिया करते हैं। 
🔴 "दोस्तों आप लोग कोल्लब (COLLAB) करने से
 पहले कैप्शन जरूर पढ़ लें"

🔴 "आज के प्रतियोगिता का टॉपिक "बादल" है जो,
 Esha Gupta जी ने दिया है!

🔴 " इस प्रतियोगिता का समय सीमा आज रात्रि 12:00
कभी जो बरसते हैं बादल तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा लिया करते हैं।
दिल में तन्हाई पलती है पर फिर भी लबों पर मुस्कान सजा लिया करते हैं।

जिंदगी में जिम्मेदारियांँ व फर्ज निभाने में कई ख्वाहिशें अधूरी ही रह गई हैं,
हृदय की बंजर जमीन पर कल्पनाओं के फूल खिला खुश हो लिया करते हैं।

प्रियतम तुम बिन जीवन मेरा पतझड़ के जैसा उजड़ा-उजड़ा सा लगता है,
विरह के गीतों की तुरपाई से ही विरह के घावों को हम भर लिया करते हैं। 
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