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आज समझ आई तपस्वियों, तुम्हारे तप की भी तपस्या। आज

आज समझ आई तपस्वियों,
 तुम्हारे तप की भी तपस्या।
आज समझ आई तुम्हारी ,
खाकी की अहमियत।।

कोई बन गया दधिची,
कोई बन गया है गौतम।
किसी ने अहिल्या को तारा,
बनकर के यार पुरूषोत्तम।। 

हे! लोकतंत्र के मेरुदंडो ,
तुम्हे श्रद्धा नमन हमारा है

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)
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