#OpenPoetry *********मैं कवि हूँ **16 मात्रा*********** मेरा साम ही कल्याण है में विरोधी नही प्रेरक हूँ। मेरा दाम ही प्रोत्साहन है में आकांक्षी नही संतुष्ट हूँ। मेरा भेद ही सदभाव है में उपेक्षा नही अपेक्षा हूँ। मेरा ही दंड पश्चाताप है में चंचल तो नही अटल हूँ। मे आक्रोश चन्द मात्र है में क्रोधित नही निर्वेद हूँ। मेरा मन ही सर्व मान्य है में चंचल नही अविचलित हूँ मेरा पूण्य ही तो दान है में कृपण नही परिचारक हूँ। मेरा प्रेम ही अभिमान है में ढोंगी नही रसज्ञ हूँ मेरा अहिवात ही संसार है में बाधा नही आरम्भ हूँ। मेरा धर्म मानुज सेवा है में आंधियारा नही रवि हूँ में स्वाभिमान से कहता हूँ में काव्य सर्जक एक "कवि" हूँ ✍️aayu👩🏫 #OpenPoetry में कवि हुँ